बिलासपुर, 18 अक्टूबर 2025– छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने हिंदू उत्तराधिकार कानून से जुड़े एक अहम मामले में स्पष्ट किया है कि पुत्री को पिता की संपत्ति पर अधिकार नहीं होगा यदि पिता की मृत्यु हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम, 1956 लागू होने से पहले हुई हो और उस समय पुत्र जीवित था।
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जस्टिस नरेंद्र कुमार व्यास की एकल पीठ ने इस मामले में कहा कि हिंदू मिताक्षरा कानून के अनुसार, किसी पुरुष की स्व-अर्जित संपत्ति पहले उसके पुरुष वंशज, यानी पुत्र को ही मिलती है। बेटियों या अन्य उत्तराधिकारियों को केवल तभी संपत्ति में हिस्सा मिलता है, जब पुत्र उपलब्ध न हो।
न्यायालय के आदेश के मुख्य बिंदु:
पिता की स्व-अर्जित संपत्ति का वितरण पुरुष वंशजों को प्राथमिकता देता है।
बेटियों को अधिकार तभी मिलेंगे जब कोई पुत्र मौजूद न हो।
यह निर्णय हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम, 1956 से पहले हुई मृत्यु पर आधारित है।
विशेषज्ञों के अनुसार, यह फैसला पुराने हिंदू मिताक्षरा कानून के प्रावधानों को स्पष्ट करता है और परिवारों में संपत्ति विवादों को सुलझाने में मदद कर सकता है।