दिल्ली। भारत की रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) भविष्य की चुनौतियों और युद्ध के मैदान को ध्यान में रखते हुए एक अत्याधुनिक रोबोटिक सैनिक विकसित कर रहा है। यह हाई-रिस्क वाले सैन्य मिशनों में इंसानी सैनिकों के जोखिम को कम करने की दिशा में एक बड़ा कदम है। इस तकनीक के सफल होने पर दुश्मनों को अब भारतीय सैनिकों से नहीं, बल्कि मानवरहित रोबोटिक सेना से टक्कर लेनी पड़ेगी।
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क्या हैं ये रोबोटिक सैनिक?
DRDO द्वारा विकसित किए जा रहे ये रोबोट ह्यूमनॉइड रोबोट (Humanoid Robots) हैं, जो मानव जैसे आकार और गतिविधियों से लैस होंगे। DRDO की पुणे स्थित रिसर्च एंड डेवलपमेंट एस्टैब्लिशमेंट (इंजीनियर्स) प्रयोगशाला इस महत्वाकांक्षी परियोजना पर पिछले चार साल से काम कर रही है।
मुख्य विशेषताएं और उपयोग:
- सैनिकों की सुरक्षा: इन रोबोट्स को ऐसे वातावरण में सैनिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए डिज़ाइन किया जा रहा है, जहाँ जोखिम सबसे अधिक है, जैसे कि सीमावर्ती या विस्फोटक क्षेत्रों में।
- जटिल कार्य: ये रोबोट जटिल कार्य, स्वायत्त नेविगेशन और खतरनाक सामग्रियों (जैसे माइन्स, विस्फोटक) को संभालने में सक्षम होंगे।
- बहुमुखी क्षमता: ये जंगल, पहाड़ और रेगिस्तान जैसे कठिन इलाकों में भी काम कर सकेंगे।
- उन्नत तकनीक: ये अत्याधुनिक सेंसर, एक्ट्यूएटर्स (मानव मांसपेशियों की तरह गति पैदा करने वाले) और नियंत्रण प्रणालियों से लैस होंगे। इनमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का इस्तेमाल होगा ताकि ये ऑपरेटर के निर्देशों को समझकर उस पर अमल कर सकें।
- ऑपरेशनल अवधि: ये रोबोट दिन हो या रात, घर के अंदर हो या बाहर, निर्बाध रूप से काम करने की क्षमता रखेंगे।
कब तक होंगे तैयार?
DRDO के अधिकारियों के अनुसार, यह प्रोजेक्ट अभी उन्नत विकास चरण में है। टीम रोबोट के संतुलन, तीव्र डेटा प्रोसेसिंग और जमीनी स्तर पर निष्पादन में महारत हासिल करने पर जोर दे रही है। इस ह्यूमनॉइड रोबोटिक सैनिक को 2027 तक भारतीय सेना के लिए पूरी तरह से तैयार करने का लक्ष्य रखा गया है।
DRDO का यह प्रयास भारत को रक्षा रोबोटिक्स के क्षेत्र में दुनिया के अग्रणी देशों की कतार में खड़ा कर देगा, जिससे भविष्य के युद्धों में भारतीय सेना को निर्णायक बढ़त मिलेगी।