Vastu Tips – वास्तु शास्त्र में घर के मुख्य द्वार को सिंह द्वार कहा गया है, क्योंकि यही वह स्थान है जहां से न केवल लोग बल्कि ऊर्जाएं भी घर में प्रवेश करती हैं। यदि यह द्वार शुभ दिशा में हो, साफ-सुथरा और उचित रंग में रंगा हो, तो यह घर में सुख, शांति, समृद्धि और स्वास्थ्य बनाए रखता है। इसके विपरीत, यदि द्वार वास्तु दोषों से युक्त हो या उस पर नकारात्मक रंग चढ़ा हो, तो यह दरिद्रता, रोग और मानसिक क्लेश को आकर्षित करता है।
कौन-से रंग मुख्य द्वार के लिए माने जाते हैं अशुभ? वास्तु शास्त्र के अनुसार कुछ रंग ऐसे हैं जिनका प्रयोग मुख्य द्वार पर करना घर के लिए हानिकारक हो सकता है।
काला रंग: यह भारी ऊर्जा और नकारात्मकता का प्रतीक माना गया है। इससे घर में अवसाद, मानसिक तनाव और आर्थिक बाधाएं उत्पन्न हो सकती हैं।
गहरा नीला या स्लेटी: ये रंग ऊर्जाओं का प्रवाह रोकते हैं और घर में नीरसता का वातावरण बना सकते हैं। व्यापारी वर्ग के लिए ये विशेष रूप से अशुभ माने गए हैं।
गहरा लाल: यह रंग उग्रता और अधिक उत्तेजना का प्रतीक है। इससे घर में झगड़े, तनाव और अस्थिरता का माहौल बन सकता है।
भूरा रंग : ये रंग घर की सुंदरता को कम करते हैं और दरिद्रता व घरेलू क्लेश को आमंत्रित करते हैं।
कौन-से रंग शुभ माने जाते हैं। मुख्य द्वार पर शुभ रंगों का प्रयोग सकारात्मक ऊर्जा को आमंत्रित करता है।
हल्का हरा: यह ताजगी, उन्नति और मानसिक संतुलन लाता है।
क्रीम या सफेद: ये रंग पवित्रता, संतुलन और शांति के प्रतीक माने जाते हैं।
हल्का नीला: यह रंग मानसिक स्थिरता और सौम्यता लाता है। विशेष रूप से पढ़ाई या मानसिक कार्यों में लगे लोगों के लिए यह लाभकारी है।
हल्का गुलाबी: यह रंग प्रेम, पारिवारिक सौहार्द्र और मधुरता को बढ़ाता है।
दिशा के अनुसार रंग का चयन
उत्तर दिशा: हल्का नीला या हरा रंग शुभ होता है।
पूर्व दिशा: सफेद, क्रीम और हल्का गुलाबी रंग उपयुक्त हैं।
दक्षिण दिशा: हल्का ब्राउन, नारंगी या हल्का लाल रंग प्रयोग कर सकते हैं।
पश्चिम दिशा: सफेद, क्रीम या चॉकलेट रंग उचित माने गए हैं।
अगर मुख्य द्वार का रंग वास्तु दोषयुक्त है तो क्या करें ?
रंग बदलें- सबसे प्रभावी उपाय यही है कि मुख्य द्वार को वास्तु के अनुसार शुभ रंग में रंगवाया जाए।
शुभ चिह्न लगाएं- दरवाज़े पर आम के पत्तों की तोरण, स्वास्तिक, ॐ या ‘शुभ-लाभ’ जैसे चिन्ह लगाने से सकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है।
गंगाजल से शुद्धिकरण- सप्ताह में एक बार मुख्य द्वार को गंगाजल से पोंछें या वहां हनुमान चालीसा, विष्णु सहस्रनाम जैसे पाठ करें।
साफ-सफाई रखें- दरवाज़े के सामने कभी भी कूड़ेदान, टूटे गमले या जंग लगे सामान न रखें, ये दरिद्रता और रोग का कारण बन सकते हैं।