Vastu Tips: भगवान श्रीगणेश को विघ्नहर्ता, बुद्धिदाता और मंगलकर्ता के रूप में पूजा जाता है। सनातन परंपरा में किसी भी शुभ कार्य से पहले गणेश पूजन आवश्यक माना गया है। वास्तु शास्त्र में भी श्री गणेश के विभिन्न स्वरूपों को विशेष उद्देश्य से घर में लगाने की मान्यता है। यदि सही दिशा और मनोकामना के अनुसार श्रीगणेश की मूर्ति अथवा चित्र लगाया जाए, तो जीवन में सुख, शांति, समृद्धि और सफलता प्राप्त होती है।
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1. बाईं सूंड वाले गणेश जी- सुख और पारिवारिक शांति के लिए
गणेश जी का यह स्वरूप अत्यंत सौम्य होता है। यह घर में प्रेम, सौहार्द और सुख-शांति बनाए रखने में सहायक होता है। इस स्वरूप को उत्तर-पूर्व (ईशान कोण) या उत्तर दिशा में स्थापित करना शुभ फलदायी होता है। यह स्वरूप गृहस्थ जीवन में संतुलन बनाए रखने में भी सहायक है।
2. बाल गणेश- संतान सुख और बच्चों की उन्नति के लिए
गणेश जी का बाल रूप बहुत ही प्रिय और पवित्र माना गया है। इसे घर में स्थापित करने से संतान सुख की प्राप्ति होती है और बच्चों की पढ़ाई, व्यवहार और स्वास्थ्य में वृद्धि होती है। इस स्वरूप को बच्चों के कमरे या पूजाघर में लगाया जा सकता है।
3. मूषक पर विराजमान गणेश- कार्यसिद्धि और सफलता के लिए
भगवान गणेश को उनके वाहन मूषक के साथ विराजमान देखना, समर्पण और विनम्रता का प्रतीक है। यह स्वरूप प्रयासों में सफलता दिलाता है और काम में आने वाली रुकावटों को दूर करता है। इसे घर के मुख्य द्वार के पास या अध्ययन और कार्य क्षेत्र में रखना शुभ होता है।
4. हस्त में मोदक लिए हुए गणेश- आनंद और संतोष की प्राप्ति के लिए
जहां गणेश जी के हाथ में मोदक हो, वह स्वरूप जीवन में मधुरता, संतुलन और आत्मसंतोष लाता है। मोदक ज्ञान का प्रतीक भी है, इसलिए यह विद्यार्थियों और ज्ञान की खोज में लगे लोगों के लिए भी अत्यंत लाभकारी होता है।
5. लाल गणेश- ऊर्जा और धन-लाभ के लिए
लाल रंग शक्ति, समृद्धि और लक्ष्मी तत्व का प्रतीक माना गया है। इस रंग के गणेश स्वरूप को घर की दक्षिण दिशा में स्थापित करने से धन की वृद्धि, आत्मबल और जोश बढ़ता है। व्यवसायिक क्षेत्रों में यह स्वरूप विशेष रूप से उपयोगी माना गया है।
6. श्वेत गणेश- मानसिक शांति और आध्यात्मिक विकास के लिए
सफेद रंग शांति, पवित्रता और सौम्यता का प्रतीक होता है। श्वेत गणेश मूर्ति को ईशान कोण में स्थापित करने से मानसिक संतुलन, ध्यान और आध्यात्मिक ऊर्जा प्राप्त होती है। यह घर के वातावरण को शांत और सकारात्मक बनाता है।
7. मुख्य द्वार पर बैठे गणेश- नकारात्मक ऊर्जा से रक्षा के लिए
मुख्य द्वार पर भगवान गणेश का ऐसा स्वरूप जिसमें उनका मुख अंदर की ओर हो, घर में आने वाली नकारात्मक ऊर्जा को रोकता है और शुभ ऊर्जा को आमंत्रित करता है। यह विघ्नों से रक्षा करने वाला प्रमुख स्वरूप माना गया है।
8. रिद्धि-सिद्धि सहित गणेश- वैवाहिक सुख और समृद्धि के लिए
जहां भगवान गणेश अपनी दोनों शक्तियों रिद्धि और सिद्धि के साथ विराजमान हों, वह स्वरूप पारिवारिक समृद्धि, वैवाहिक सुख और लक्ष्मी की प्राप्ति का सूचक होता है। इसे पूजाघर या बैठक में पूर्व दिशा की ओर स्थापित करना शुभ माना गया है।