एक समय था जब भारत में आफ्टरमार्केट या एक्सेसरीज बाजार काफी बड़ा हुआ करता था। लोग अपनी कारों को अपनी पसंद के मुताबिक सजाते-संवारते थे। लेकिन पिछले कुछ वर्षों में दो बड़े बदलाव आए हैं। पहली बात, अब कार कंपनियां ही अपनी गाड़ियों में पहले से बहुत-सी फीचर्स देने लगी हैं। और दूसरी बात, सरकार ने एक नया नियम लागू कर दिया है जिसमें किसी भी तरह के मॉडिफिकेशन (बदलाव) पर सख्त रोक है।

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इस वजह से आज बहुत से लोगों के मन में ये सवाल है कि आखिरकार कौन-सी एक्सेसरीज अब कानूनी रूप से इस्तेमाल की जा सकती हैं और कौन-सी नहीं। यहां हम आपको इस सवाल का जवाब आसान भाषा में बता रहे हैं।

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कौन-सी कार एक्सेसरीज हैं कानूनी
किसी भी एक्सेसरी को लगाने से पहले सबसे पहले यह जानना जरूरी है कि कानून क्या कहता है। कानून के मुताबिक, “कोई भी ऐसा बदलाव जो गाड़ी की सुरक्षा, प्रदूषण नियंत्रण या उसकी संरचना (स्ट्रक्चर) को प्रभावित करता है, वह बिना आरटीओ की मंजूरी के अवैध है।”

मतलब अगर किसी एक्सेसरी से गाड़ी की सेफ्टी या उसकी बनावट पर असर नहीं पड़ता, तो वह आमतौर पर मान्य हो सकती है। उदाहरण के तौर पर, कंपनी द्वारा ऑफर की गई या कंपनी से अनुमोदित एक्सेसरीज जैसे डोर वाइजर, सीट कवर, फ्लोर मैट्स, डैशबोर्ड डेकोरेशन आदि लगाए जा सकते हैं। कुछ राज्यों में हेडलाइट बल्ब बदलना, टायर का साइज थोड़ा बढ़ाना या सिंपल स्पॉइलर लगाना भी अनुमति के दायरे में आता है, बशर्ते ये ज्यादा एक्सट्रीम न हों। कुछ जगहों पर हल्की टिंटेड विंडो ग्लास भी चल जाती है, लेकिन कई राज्य इसे सख्ती से लागू करते हैं।

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मोती राम पटेल
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