Gariaband: कसेरु में ग्रामीणों की मिसाल गरियाबंद जिले के दूरस्थ ग्राम कसेरु के ग्रामीणों ने स्वच्छता और सामूहिक प्रयास की एक प्रेरणादायक मिसाल पेश की है। जहां एक ओर कई गांव विकास कार्यों के लिए सरकार की ओर टकटकी लगाए रहते हैं, वहीं ग्राम कसेरु के लोगों ने मानसून पूर्व अपने प्रमुख निस्तारी तालाब की सफाई का जिम्मा स्वयं उठाकर यह साबित कर दिया कि जब जनता जागरूक होती है, तब परिवर्तन स्वतः संभव हो जाता है।
कसेरु में ग्रामीणों की मिसाल: अपने निस्तारी तालाब की स्वयं की साफ-सफाई कर दिखाया जनभागीदारी
गांव के मुख्य तालाब की स्थिति हाल ही में बिगड़ गई थी। पानी की गहराई कम हो गई थी, किनारे गंदगी से अटे पड़े थे और जल निकासी के रास्ते अवरुद्ध हो चुके थे। गांव के बुजुर्गों और युवाओं ने मिलकर इस दिशा में पहल की और एक दिन तय कर गांवभर के लोगों को एकत्र कर तालाब सफाई का श्रमदान शुरू किया।
तालाब की सफाई के दौरान गाद निकाली गई, किनारों की झाड़ियां और जंगली घास हटाई गई, साथ ही नाली और निकासी व्यवस्था को पुनः सजीव किया गया ताकि बरसात का पानी बिना रुकावट भर सके। विशेष बात यह रही कि इस अभियान में गांव की महिलाओं और किशोरों ने भी भाग लिया। सुबह से लेकर शाम तक चले श्रमदान में एकजुटता और समर्पण की भावना साफ दिखाई दी।
ग्राम वासियों ने कहा हमारे गांव का यह तालाब निस्तारी और नहाने के लिए बेहद जरूरी है। बारिश में यह जल स्रोत भर जाता है, लेकिन अगर इसकी सफाई न की जाए तो यह गंदा होकर अनुपयोगी हो जाता है। इसलिए हमने खुद यह जिम्मेदारी ली और अब इसका पानी साफ और उपयोगी हो गया है।
इस कार्य को देखने आसपास के गांवों के लोग भी पहुंचे और इस प्रयास की सराहना की। जहां एक ओर शासन स्तर से कई बार कार्य योजनाएं कागजों में सिमट जाती हैं, वहां ग्राम कसेरु के लोगों ने धरातल पर उदाहरण पेश किया है।
ग्राम कसेरु निवासी पत्रकार मोती राम पटेल ने कहा, “यदि शासन से कुछ सहयोग मिले, तो हम इस तालाब को और बेहतर बना सकते हैं — घाट निर्माण, बैठने की व्यवस्था, पौधारोपण और सौंदर्यीकरण जैसे कार्य भी किए जा सकते हैं।”
इस पूरे अभियान से यह संदेश स्पष्ट रूप से सामने आया कि जनसहभागिता और आत्मनिर्भरता ही ग्रामीण विकास की असली कुंजी है। ग्राम कसेरु के लोगों की यह सोच, आने वाली पीढ़ियों को एक बेहतर पर्यावरण, स्वच्छ जल स्रोत और जिम्मेदारी का भाव प्रदान करेगी।
अब ग्रामीणों को प्रशासन से यह आशा है कि उनके इस प्रयास को न केवल सराहा जाए, बल्कि आगे अन्य विकासात्मक कार्यों में सहयोग भी दिया जाए, ताकि यह तालाब आने वाले वर्षों में और अधिक उपयोगी व सुंदर बन सके।
Gariaband: कसेरु में ग्रामीणों की मिसाल जिले के दूरस्थ ग्राम कसेरु के ग्रामीणों ने स्वच्छता और सामूहिक प्रयास की एक प्रेरणादायक मिसाल पेश की है। जहां एक ओर कई गांव विकास कार्यों के लिए सरकार की ओर टकटकी लगाए रहते हैं, वहीं ग्राम कसेरु के लोगों ने मानसून पूर्व अपने प्रमुख निस्तारी तालाब की सफाई का जिम्मा स्वयं उठाकर यह साबित कर दिया कि जब जनता जागरूक होती है, तब परिवर्तन स्वतः संभव हो जाता है।
कसेरु में ग्रामीणों की मिसाल: अपने निस्तारी तालाब की स्वयं की साफ-सफाई कर दिखाया जनभागीदारी
गांव के मुख्य तालाब की स्थिति हाल ही में बिगड़ गई थी। पानी की गहराई कम हो गई थी, किनारे गंदगी से अटे पड़े थे और जल निकासी के रास्ते अवरुद्ध हो चुके थे। गांव के बुजुर्गों और युवाओं ने मिलकर इस दिशा में पहल की और एक दिन तय कर गांवभर के लोगों को एकत्र कर तालाब सफाई का श्रमदान शुरू किया।
तालाब की सफाई के दौरान गाद निकाली गई, किनारों की झाड़ियां और जंगली घास हटाई गई, साथ ही नाली और निकासी व्यवस्था को पुनः सजीव किया गया ताकि बरसात का पानी बिना रुकावट भर सके। विशेष बात यह रही कि इस अभियान में गांव की महिलाओं और किशोरों ने भी भाग लिया। सुबह से लेकर शाम तक चले श्रमदान में एकजुटता और समर्पण की भावना साफ दिखाई दी।
ग्राम वासियों ने कहा हमारे गांव का यह तालाब निस्तारी और नहाने के लिए बेहद जरूरी है। बारिश में यह जल स्रोत भर जाता है, लेकिन अगर इसकी सफाई न की जाए तो यह गंदा होकर अनुपयोगी हो जाता है। इसलिए हमने खुद यह जिम्मेदारी ली और अब इसका पानी साफ और उपयोगी हो गया है।
इस कार्य को देखने आसपास के गांवों के लोग भी पहुंचे और इस प्रयास की सराहना की। जहां एक ओर शासन स्तर से कई बार कार्य योजनाएं कागजों में सिमट जाती हैं, वहां ग्राम कसेरु के लोगों ने धरातल पर उदाहरण पेश किया है।
ग्राम कसेरु निवासी पत्रकार मोती राम पटेल ने कहा, “यदि शासन से कुछ सहयोग मिले, तो हम इस तालाब को और बेहतर बना सकते हैं — घाट निर्माण, बैठने की व्यवस्था, पौधारोपण और सौंदर्यीकरण जैसे कार्य भी किए जा सकते हैं।”
इस पूरे अभियान से यह संदेश स्पष्ट रूप से सामने आया कि जनसहभागिता और आत्मनिर्भरता ही ग्रामीण विकास की असली कुंजी है। ग्राम कसेरु के लोगों की यह सोच, आने वाली पीढ़ियों को एक बेहतर पर्यावरण, स्वच्छ जल स्रोत और जिम्मेदारी का भाव प्रदान करेगी।
अब ग्रामीणों को प्रशासन से यह आशा है कि उनके इस प्रयास को न केवल सराहा जाए, बल्कि आगे अन्य विकासात्मक कार्यों में सहयोग भी दिया जाए, ताकि यह तालाब आने वाले वर्षों में और अधिक उपयोगी व सुंदर बन सके।