स्मार्टफोन आजकल हमारी जरूरत बन गया है। इसके बिना आप एक दिन भी नहीं काट सकते हैं। हालांकि, स्मार्टफोन के दुष्प्रभाव को लेकर कई बार रिसर्च सामने आ चुके हैं। हाल में आए एक रिसर्च रिपोर्ट ने करोड़ों स्मार्टफोन यूजर्स की टेंशन बढ़ा दी है। इस रिपोर्ट में स्मार्टफोन को परजीवी बताया गया है। अगर, आप परजीवी के बारे में नहीं जानते हैं तो बता दें ये ऐसे जीव हैं, जो आपका खून लगातार चूसते रहते हैं।
स्मार्टफोन को क्यों बताया परजीवी?
ऑस्ट्रेलियन जर्नल ऑफ फिलॉस्पी में छपी रिसर्च रिपोर्ट के मुताबिक, स्मार्टफोन के कई सामाजिक रिस्क हैं, जिसे किसी परजीवी की तरह ट्रीट किया जा सकता है। स्मार्टफोन ने हमारी जिंदगी को पूरी तरह से बदल दिया है। इसका इस्तेमाल कॉलिंग या फिर मैसेज भेजने के लिए नहीं होता है। इसके जरिए हम फूड ऑर्डर करने से लेकर, फोन बैंकिंग तक की सुविधा ले सकते हैं। इसने पिछले एक दशक से ज्यादा समय से हमारी जिंदगी को आसान बनाने का काम किया है।
हालांकि, जिंदगी आसान बनाने के साथ-साथ स्मार्टफोन ने हमें अपना गुलाम बनाने का भी काम किया है। हम इस पर कुछ न कुछ स्क्रॉल करते रहते हैं, जिसे पूरी तरह से बंद करना संभव नहीं है। इसका खामियाजा स्मार्टफोन यूजर्स को अपनी नींद की कुर्बानी देने से लेकर मानसिक पीड़ा सहकर भुगतना पड़ता है। रिसर्च रिपोर्ट के मुताबिक, हालांकि, सभी परजीवी हमें नुकसान नहीं पहुंचाते हैं। कई हमारी आंत में रहते हैं और पाचन शक्ति बढ़ाने के साथ-साथ हमारी इम्युनिटी को भी बेहतर करने का काम करते हैं।
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कई फायदे और नुकसान
स्मार्टफोन भी उसी परजीवी की तरह है, जिसके नुकसान होने के साथ-साथ फायदे भी कई हैं। इंसान और स्मार्टफोन की इस साझेदारी को म्यूच्युअलिज्म के तौर पर देखा जा सकता है। स्मार्टफोन में मौजूद कई ऐप्स ऐसे होते हैं, जो इंसानों की जरूरतों और पसंद की जानकारी को एडवर्टाइजर्स तक पहुंचाते हैं। इन ऐप्स को इस तरह से डिजाइन किया गया है कि यूजर्स इन्हें लगातार स्क्रॉल करते रहते हैं और दिए गए ऐड पर क्लिक भी कर देते हैं।
इसकी वजह से यूजर का डेटा एडवर्टाइजर्स तक पहुंच जाता है और उनकी पसंद-नापसंद आदि पर ऐडवर्टाइजर्स का कंट्रोल रहता है। बाद में यूजर के निजी डेटा को कलेक्ट करने से लेकर उन्हें बेचने तक की आजादी इन ऐडवर्टाइजर्स को मिल जाती है, जो आपके लिए किसी खतरे की घंटी से कम नहीं है।