नई दिल्ली। हिंदू धर्म में सर्वपितृ अमावस्या का विशेष महत्व है। इसे पितृ मोक्ष अमावस्या भी कहा जाता है। यह पितृ पक्ष का अंतिम दिन होता है, जब उन सभी पूर्वजों का श्राद्ध और तर्पण किया जाता है जिनकी मृत्यु तिथि ज्ञात नहीं होती या जिनका श्राद्ध किसी कारणवश नहीं हो पाया हो।
इस दिन किए गए श्राद्ध, दान और तर्पण से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, श्राद्ध कर्म के बाद ब्राह्मणों को भोजन और दान-दक्षिणा देने से यह पुण्य सीधे पितरों तक पहुंचता है।
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विशेषत: यह दिन परिवार और पूर्वजों के प्रति श्रद्धा व्यक्त करने का अवसर होता है। लोग अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए गंगा, यमुना या किसी पवित्र जल स्रोत में तर्पण करते हैं और दान करते हैं।
सर्वपितृ अमावस्या का पालन करने से व्यक्ति के मन और परिवार में शांति आती है और यह परंपरा आने वाली पीढ़ियों तक भी निरंतर बनी रहती है।