गरियाबंद गुरुपूर्णिमा भारतीय संस्कृति में गुरु को ब्रह्मा, विष्णु और महेश के तुल्य माना गया है। इसी दिव्य परंपरा को जीवंत करते हुए सरस्वती शिशु मंदिर कसेरू में गुरुपूर्णिमा पर्व अत्यंत श्रद्धा, भक्ति और भावनात्मक वातावरण में मनाया गया।
कार्यक्रम का शुभारंभ अध्यक्ष, व्यवस्थापिका, प्रधानाचार्य एवं वरिष्ठ आचार्यगणों द्वारा दीप प्रज्वलन और माँ सरस्वती वंदना से हुआ। दीप से ज्योति और गुरु से प्रेरणा का संदेश इस पूरे समारोह की आत्मा बना रहा।समारोह के दौरान विद्यालय के छात्रों ने “गुरु का अर्थ” विषय पर प्रभावशाली कविता, भाषण एवं भावात्मक संवाद प्रस्तुत किए।
गुरुपूर्णिमा विशेष रूप से—
- कक्षा 7वीं की बहन जागृति ने एक भावपूर्ण कविता प्रस्तुत की,
- भैय्या चुकेश्वर ने गुरु पर छोटा लेकिन गूढ़ भाषण दिया।
- कक्षा 8वीं की बहन दमिनी ने गुरु को समर्पित सुंदर काव्यपंक्तियों से मन मोह लिया,
- बहन प्रीति ने “गुरु – ज्ञान के दीप” विषय पर प्रभावशाली वक्तव्य प्रस्तुत किया।
समारोह में सभी आचार्य एवं आचार्या ने भी विद्यार्थियों को आशीर्वचन प्रदान किए।
उनका कहना था कि—
शिक्षा केवल पाठ्यपुस्तकों की विषयवस्तु नहीं, बल्कि जीवन जीने की कला है, और गुरु वही है जो बालक के व्यक्तित्व को दिशा देता है।
कार्यक्रम की विशेष प्रस्तुति “गुरु वंदना गीत” रही, जिसे सामूहिक रूप से गाकर बच्चों ने अपने गुरुजनों के प्रति सम्मान प्रकट किया।
इस अवसर पर विद्यालय प्रबंधन समिति के माननीय अध्यक्ष तोमर साहू ने अपने प्रेरणादायक संबोधन में कहा: गुरु वह शक्ति हैं, जो समाज की नींव को सुदृढ़ बनाते हैं।
आज के युग में यदि कोई सच्चा राष्ट्र निर्माता है, तो वह है—गुरु।विद्यालयों को संस्कार, सेवा और शुचिता का केंद्र बनाना हम सबका उत्तरदायित्व है। साथ ही विद्यालय व्यवस्थापिका शशि नागेश ने भी
गुरु के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा: गुरु केवल पढ़ाने वाले नहीं, बल्कि जीवन की सही दिशा दिखाने वाले होते हैं। एक गुरु ही बालक के भीतर छिपे दीपक को प्रज्वलित करता है — और वही सच्ची शिक्षा है।
प्रधानाचार्य सिन्हा ने अपने आशीर्वचन में कहा:
विद्यालय केवल परीक्षा देने की जगह नहीं, यह जीवन निर्माण की प्रयोगशाला है।
शिक्षक वह दीप हैं जो स्वयं जलकर अपने विद्यार्थियों का मार्ग प्रकाशित करते हैं।
आइए, हम सब इस गुरुपूर्णिमा पर यह संकल्प लें कि हम शिक्षा के साथ संस्कार भी प्रदान करें।
समारोह के अंत में सभी विद्यार्थियों ने “गुरु को पत्र / एक पंक्ति / चित्र” बनाकर उन्हें “गुरु भावना-पट” पर अर्पित किया।
प्रसाद वितरण एवं “भारत माता की जय” के जयघोष के साथ कार्यक्रम का भावपूर्ण समापन हुआ।
इस अवसर पर समस्त विद्यालय परिवार, ग्रामवासी, अभिभावकगण एवं शिक्षकगण उपस्थित रहे। सभी ने इसे अभूतपूर्व, प्रेरणादायक और संस्कारशील आयोजन बताया। में गुरुपूर्णिमा पर्व अत्यंत श्रद्धा, भक्ति और भावनात्मक वातावरण में मनाया गया।
कार्यक्रम का शुभारंभ अध्यक्ष, व्यवस्थापिका, प्रधानाचार्य एवं वरिष्ठ आचार्यगणों द्वारा दीप प्रज्वलन और माँ सरस्वती वंदना से हुआ। दीप से ज्योति और गुरु से प्रेरणा का संदेश इस पूरे समारोह की आत्मा बना रहा।समारोह के दौरान विद्यालय के छात्रों ने “गुरु का अर्थ” विषय पर प्रभावशाली कविता, भाषण एवं भावात्मक संवाद प्रस्तुत किए।
कक्षा 7वीं की बहन जागृति ने एक भावपूर्ण कविता प्रस्तुत की,
भैय्या चुकेश्वर ने गुरु पर छोटा लेकिन गूढ़ भाषण दिया।
कक्षा 8वीं की बहन दमिनी ने गुरु को समर्पित सुंदर काव्यपंक्तियों से मन मोह लिया,
बहन प्रीति ने “गुरु – ज्ञान के दीप” विषय पर प्रभावशाली वक्तव्य प्रस्तुत किया।
समारोह में सभी आचार्य एवं आचार्या ने भी विद्यार्थियों को आशीर्वचन प्रदान किया
“शिक्षा केवल पाठ्यपुस्तकों की विषयवस्तु नहीं, बल्कि जीवन जीने की कला है, और गुरु वही है जो बालक के व्यक्तित्व को दिशा देता है।”
कार्यक्रम की विशेष प्रस्तुति “गुरु वंदना गीत” रही, जिसे सामूहिक रूप से गाकर बच्चों ने अपने गुरुजनों के प्रति सम्मान प्रकट किया।
“गुरु वह शक्ति हैं, जो समाज की नींव को सुदृढ़ बनाते हैं।