रात 11 बजे के बाद धड़ल्ले से निकल रही रेत से भरी हाइवा, बेरियर पर नहीं दिखे माइनिंग कर्मी
गरियाबंद। जिले के राजिम क्षेत्र में रेत माफिया प्रशासनिक दावों को ठेंगा दिखाते हुए खुलेआम अवैध खनन और परिवहन में लगे हैं। माइनिंग विभाग जिस बेरियर पर 24 घंटे निगरानी का दावा करता है, वहां रात 11 बजे के बाद 60 से अधिक रेत से लदी हाइवा ट्रक गुजर जाती हैं। इससे न सिर्फ प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल खड़े हो रहे हैं, बल्कि राजनीतिक संरक्षण की भी आशंका जताई जा रही है।
कुरूसकेरा घाट में रातभर चलता है खनन का खेल
पैरी नदी के कुरूसकेरा घाट में तीन से ज्यादा चेन माउंटेन मशीनें रात 8 बजे के बाद घाट में सक्रिय हो जाती हैं और सुबह होने से पहले उन्हें पास की नर्सरियों की झाड़ियों में छिपा दिया जाता है। यह पूरा ऑपरेशन इतने व्यवस्थित ढंग से होता है कि यह माफियाओं के मजबूत नेटवर्क और संभावित राजनीतिक संरक्षण की ओर इशारा करता है।
पत्रकारों पर हमले के बाद भी नहीं थमी अवैध माइनिंग
पिछले दिनों पितई बंद घाट में अवैध माइनिंग की कवरेज कर रहे पत्रकारों पर जानलेवा हमला हुआ था, जिसके बाद जिला प्रशासन ने सभी रेत घाटों में अवैध खनन और परिवहन बंद करने का दावा किया था। यहां तक कि राजिम विधायक रोहित साहू ने भी इस पर कार्रवाई का भरोसा दिलाया था। लेकिन बीती रात की स्थिति ने सभी दावों की पोल खोल दी।
सीसीटीवी फुटेज से हो सकती है पुष्टि
बीती रात 10:38 से सुबह 4 बजे के बीच राजिम के मुख्य चौराहे से होकर 50 से अधिक रेत से लदी हाइवा ट्रक गुजरती देखी गईं। स्थानीय रिपोर्टर्स ने डर के कारण सामने आकर कवरेज नहीं की, लेकिन उन्होंने मुख्य मार्गों पर अपनी निगरानी टीम तैनात कर रखी थी। यह सारा रूट फॉरेस्ट बेरियर से होकर जाता है, जहां माइनिंग विभाग की टीम 24 घंटे तैनात रहने का दावा करती है। लेकिन मौके पर कोई अधिकारी या कर्मी नजर नहीं आया।
यदि प्रशासन सच में कार्रवाई करना चाहता है, तो राजिम नगर में लगे सीसीटीवी कैमरों की जांच कर सकता है, जिससे पूरी स्थिति स्पष्ट हो सकती है।
जिला माइनिंग अधिकारी रोहित साहू ने कहा,
“जिले में अवैध माइनिंग पूरी तरह बंद है। राजिम चौक के आगे फॉरेस्ट बेरियर में हमारी टीम 24 घंटे तैनात रहती है। यदि कहीं से अवैध परिवहन की जानकारी मिलेगी तो कार्रवाई की जाएगी।”
राजिम विधायक रोहित साहू ने कहा,
“जहां-जहां अवैध माइनिंग की जानकारी मिली है, वहां कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं। टास्क फोर्स गठित कर रेत के अवैध कारोबार को रोकने की जिम्मेदारी प्रशासन को दी गई है। यदि राजिम बेरियर से एक भी गाड़ी निकलती है, तो इसकी जिम्मेदारी प्रशासन की होगी।”
निष्कर्ष: प्रशासनिक दावे और ज़मीनी सच्चाई के बीच भारी अंतर साफ नजर आ रहा है। अब यह देखना होगा कि क्या अधिकारी और जनप्रतिनिधि इस गंभीर मामले में कोई ठोस कार्रवाई करेंगे, या रेत का यह बेखौफ कारोबार यूं ही चलता रहेगा।