Pradosh Vrat: सावन के महीने में शिव भक्तों के लिए प्रदोष व्रत का बड़ा महत्व है। शिव भगवान के प्रिय माह सावन में प्रदोष व्रत रखने से भक्तों के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। इसके साथ ही चंद्रमा, मंगल और शनि के दुष्प्रभावों को दूर करने के लिए भी प्रदोष व्रत की पूजा को बेहद खास माना जाता है। ऐसे में आइए जान लेते हैं कि साल 2025 में सावन के महीने में प्रदोष व्रत कब रखा जाएगा और इस दिन पूजा की विधि क्या है।
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सावन प्रदोष व्रत तिथि और पूजा मुहूर्त
हिंदू पंचांग के अनुसार, सावन मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी के दिन सावन प्रदोष व्रत रखा जाता है। साल 2025 में त्रयोदशी तिथि 22 जुलाई को है, इसी दिन सावन प्रदोष व्रत भक्तों के द्वारा रखा जाएगा। त्रयोदशी तिथि का आरंभ 22 जुलाई की सुबह 7 बजकर 6 मिनट से होगा। प्रदोष व्रत के दिन सुबह की पूजा के साथ ही शाम की पूजा का भी बड़ा महत्व है। शाम के समय सूर्योदय के बाद प्रदोष काल में इस दिन विधिवत रूप से शिव पूजन कर सकते हैं। सुबह पूजा के लिए 5 बजकर 30 मिनट से 8 बजे तक का समय शुभ रहेगा।
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भौम प्रदोष व्रत पूजा विधि
सावन के प्रदोष व्रत के दिन भक्तों को जल्दी उठकर स्नान-ध्यान करना चाहिए। इसके बाद पूजा स्थल पर बैठकर व्रत का संकल्प लेना चाहिए। शिव भगवान की पूजा प्रदोष काल यानि सूर्यास्त के बाद करना बेहद शुभ माना जाता है। ऐसे में सुबह और शाम दोनों समय आप पूजा कर सकते हैं। पूजा के दौरान आपको भगवान शिव को गंगाजल से स्नान कराना चाहिए या फिर आप शिवलिंग का गंगाजल से अभिषेक कर सकते हैं। इसके बाद महादेव के मंत्रों का जप करते हुए शिवलिंग पर जल, दूध, शहद, घी और शक्कर से भी अभिषेक करें। इसके बाद भगवान शिव को सफेद फूल और फल आपको अर्पित करने चाहिए। बेलपत्र, धतूरा और भांग भी सावन के प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव को चढ़ाएं। इसके बाद दीपक जलाकर सुख-समृद्धि की कामना करें और प्रदोष व्रत कथा का पाठ करें और अंत में आरती करें।