FASTag (फास्टैग) एक स्टिकर होता है जिसमें RFID (रेडियो-फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन) तकनीक लगी होती है। इसकी मदद से भारत के हाईवे पर टोल प्लाजा पर बिना कैश दिए अपने आप पेमेंट हो जाता है। अगर आप हाईवे पर अक्सर सफर करते हैं, तो मुमकिन है कि आपकी गाड़ी में पहले से ही फास्टैग लगा हो, जो किसी बैंक से जुड़े वॉलेट से लिंक रहता है।
चैतन्य बघेल की गिरफ्तारी से नाराज युवा कांग्रेस का प्रदर्शन, ED का पुतला जलाकर दी चेतावनी
पर जब बैंक बदलना हो तो क्या करें
अगर आपको बैंक से जुड़ी सर्विस में दिक्कत आ रही है या किसी और वजह से आप फास्टैग का बैंक बदलना चाहते हैं, तो अब यह काम आसान हो गया है। टोल पेमेंट सिस्टम को और बेहतर बनाने के लिए भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) (एनएचएआई) ने ऐसा सिस्टम बनाया है, जिससे आप बिना किसी झंझट के अपना फास्टैग दूसरे बैंक में ट्रांसफर कर सकते हैं।
क्यों करते हैं लोग FASTag अकाउंट ट्रांसफर
1. आरबीआई का प्रतिबंध लगना
कभी-कभी रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) किसी बैंक पर बैन लगा देता है, जो नियमों का पालन नहीं करते। अगर आपका फास्टैग ऐसे बैंक से जुड़ा है तो वह काम नहीं करेगा और आपको दूसरा बैंक चुनना ही पड़ेगा।
2. ‘वन फास्टैग वन व्हीकल’ की नीति
एनएचएआई की ‘वन फास्टैग वन व्हीकल’ पॉलिसी के मुताबिक, एक गाड़ी के साथ सिर्फ एक ही एक्टिव फास्टैग लिंक हो सकता है। अगर आपने एक ही गाड़ी के लिए अलग-अलग बैंकों से फास्टैग ले रखा है तो सिर्फ सबसे लेटेस्ट एक्टिवेटेड फास्टैग ही चलेगा। इसलिए आपको जरूरी हो जाता है कि सही बैंक से जुड़ा फास्टैग रखें।
3. अकाउंट इनएक्टिव होना या बेहतर सर्विस चाहिए
कई बार अकाउंट बैलेंस खत्म होने या लंबे समय तक इस्तेमाल नहीं होने की वजह से फास्टैग इनएक्टिव हो जाता है। ऐसे में यूजर को दूसरा बैंक चुनना पड़ता है। साथ ही अगर किसी और बैंक की सर्विस बेहतर मिल रही हो तो भी लोग अपना फास्टैग ट्रांसफर कर लेते हैं।