पटना: बिहार में महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से ‘मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना’ का शुभारंभ किया। इस अवसर पर, राज्य की 75 लाख से अधिक महिलाओं के बैंक खातों में ₹10,000 की पहली किस्त सीधे हस्तांतरित (DBT) की गई। इस योजना के लिए कुल ₹7,500 करोड़ की राशि का वितरण किया गया है।
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योजना का लक्ष्य और राजनीतिक महत्व:
- आत्मनिर्भरता को बढ़ावा: इस योजना का मुख्य उद्देश्य महिलाओं को स्वरोजगार के अवसर प्रदान कर उन्हें आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर और सशक्त बनाना है।
- प्रत्येक परिवार से एक महिला को लाभ: यह योजना सार्वभौमिक है, जिसका अर्थ है कि राज्य के प्रत्येक परिवार की एक महिला को इसका लाभ मिलेगा, बशर्ते वह जीविका स्वयं सहायता समूह से जुड़ी हो।
- आगे ₹2 लाख तक की मदद: शुरुआती ₹10,000 के अनुदान के बाद, लाभार्थी महिलाओं के उद्यम की प्रगति की समीक्षा की जाएगी। सफल व्यवसायों को आगे ₹2 लाख तक की अतिरिक्त वित्तीय सहायता भी दी जा सकती है।
- 22% महिला वोटर्स पर प्रभाव: राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, बिहार विधानसभा चुनाव से ठीक पहले शुरू की गई यह बड़ी पहल राज्य की लगभग 22% महिला वोटर्स को साधने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
पीएम मोदी और सीएम नीतीश कुमार का संबोधन:
शुभारंभ कार्यक्रम के दौरान पीएम मोदी ने कहा कि आज का दिन बिहार की नारी शक्ति के लिए बहुत बड़ा है। उन्होंने जोर दिया कि जब कोई बहन या बेटी रोजगार करती है, तो उसके सपनों को पंख लगते हैं और समाज में उसका सम्मान बढ़ता है। उन्होंने ‘जन-धन योजना’ का ज़िक्र करते हुए कहा कि अब पूरी राशि सीधे लाभार्थियों के खाते में जा रही है, जिससे भ्रष्टाचार की गुंजाइश खत्म हो गई है।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस योजना को महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक मील का पत्थर बताते हुए कहा कि उनकी सरकार शुरू से ही महिलाओं के विकास पर ध्यान केंद्रित कर रही है। उन्होंने कहा कि पहले की सरकारों ने महिलाओं के लिए काम नहीं किया, जबकि एनडीए सरकार ने उन्हें सरकारी नौकरियों में 35% आरक्षण जैसी पहल की हैं।
यह योजना कृषि, पशुपालन, हस्तशिल्प, सिलाई और अन्य छोटे उद्यमों को बढ़ावा देने में मदद करेगी, जिससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिलेगी।