
छुरा। 1 नवंबर से धान खरीदी प्रारंभ हो गई है इसके बाद गरियाबंद जिले से लगने वाले उड़ीसा राज्य के अंतरराजीय चेक पोस्ट की व्यवस्था की गई है ताकि उड़ीसा के धान को छत्तीसगढ़ में ना खापाया जा सके पर जिला प्रशासन का यह बेवकूफी भरा फरमान कभी सही साबित नहीं होता हर बार धान कोचिया इनके इस मंसूबों को पानी फेर देता है।और 10 कदम आगे की सोचते हैं और हर बार छुरा गरियाबंद, मैनपुर ,देवभोग जैसे ब्लॉक मुख्यालय से लगने वाले चेक पोस्टों में धान की चोरी अनवरत 3 महीने जारी रहती है इसी तरह छुरा मुख्यालय से लगे 4 से 5 चेक पोस्ट है जिसमें कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई है पर यह कर्मचारी दिन में नजर आते हैं और 6 बजे शाम से पहले सुबह 8 बजे तक नदारत रहते हैं जिसका फायदा उड़ीसा और छुरा के धान खरीदी करने वाले कोचिया और व्यापारी लोग उठाते हैं कम कीमत में उड़ीसा से धान खरीदी कर छुरा के धान खरीदी केंद्र, धान उपार्जन केन्द्रों में खा पाया जाता है। हालांकि ये पूर्व नियोजित योजना कहा जाए कि जानबूझकर कर्मचारी यहां से नदारत हो जाते हैं।रात के अंधेरे में रोज हजारों क्विंटल धान छत्तीसगढ़ में बिक जाता है।हर बार ब्लॉक मुख्यालय एवं तहसील मुख्यालय में बैठे अधिकारी केवल योजना ही बनते रह जाते हैं और इनकी गाड़ियां कभी पकड़ में नहीं आती मीडिया की टीम जब रात को उसे मार्ग से गुजर रही थी तो चेक पोस्ट पर जाकर देखा तो लगभग 8 बजे चेक पोस्ट में कोई नहीं था।आसपास के ग्रामीणों को पूछा गया तो उन्होंने बताया कि शाम 6 बजे बजने से पहले यहां के कर्मचारी अधिकारी जिसकी ड्यूटी लगाई जाती है वह नहीं रहते जिसका फायदा धान खरीदी कर रहे कोचिया ट्रैक्टर और पिकअप वाहनों से पार कर उठते हैं और उड़ीसा के धान को छत्तीसगढ़ में भारी मात्रा में खपाते हैं बता दे की छुरा अंचल में प्रति एकड़ धान का उत्पादन लगभग 10 क्विंटल होगा वही सरकार द्वारा 21 क्विंटल प्रति एकड़ धान खरीदी की जानी है ऐसे में उनके खातों में बराबर 21 कुंटल धान की बिक्री होती है रात के अंधेरे में और उड़ीसा और छत्तीसगढ़ के बॉर्डर से लगे गांव में इनका सेटिंग जबरदस्त होता है और धान खरीदी के पहले रात को ही अपने पहचान वाले लोगों के यहां धान।की बोरियो को रख दिया जाता है ।और उनके खातों में उड़ीसा के धान को आसानी से बेचा जाता है। यह खेला जब से धान खरीदी प्रारंभ हुआ छत्तीसगढ़ में तब से चल रहा है ऊपर से नीचे धन व्यापारियों और कोचिया का अधिकारी और कर्मचारियों से साठ गाठ होने से ये खेल सालों से चला रहा है जिसे रोक पाने में जिम्मेदार हमेशा की तरह नाकाम साबित हो रहे हैं