छत्तीसगढ़. गरियाबंद जिले के दूरस्थ अंचल में बसी श्रीमती सुभौतिन कमार की जिंदगी अब बदल चुकी है। कल तक जो आंखें एक अदद पक्की छत के लिए तरसती थीं, आज उन्हीं आंखों में अपने पक्के घर में रहने की खुशी और संतुष्टि की चमक है। प्रधानमंत्री जनजाति आदिवासी न्याय महाअभियान (पीएम-जनमन) ने विशेष पिछड़ी जनजाति की इस विधवा महिला के जीवन में खुशियों का नया सवेरा लाया है। योजना के तहत उन्हें पक्का मकान का लाभ मिल गया है। साथ ही उनके पक्के मकान का सपना भी साकार हो चुका है। पक्का घर बन जाने से झोपड़ी से मुक्ति पाकर सुभौतिन के चेहरे पर मुस्कान लौट आई है।
सुभौतिन कमार के पक्के घर का सपना हुआ साकार झोपड़ी से मुक्ति पाकर चेहरे पर लौटी मुस्कान
संघर्षों से भरा था जीवन विकासखंड फिंगेश्वर के ग्राम पंचायत गुण्डरदेही अंतर्गत बम्हनदेही (नाचनबाय) में रहने वाली श्रीमती सुभौतिन कमार का जीवन बेहद कठिनाइयों से भरा था। पति की मृत्यु के बाद, वह अपने छोटे से नाती के साथ मिट्टी, खपरैल और घास-फूस से बनी एक कच्ची झोपड़ी में रहती थीं। दिहाड़ी मजदूरी से जो कुछ मिलता, उसी से दो वक्त की रोटी का जुगाड़ हो पाता था। ऐसे में पक्का मकान बनवाना उनके लिए एक ऐसा सपना था, जो कभी पूरा होता नहीं दिख रहा था।
सरकारी योजना बनी उम्मीद की किरण – इसी बीच ग्राम पंचायत सचिव के माध्यम से सुभौतिन को भारत सरकार की महत्वाकांक्षी पीएम-जनमन योजना के बारे में जानकारी मिली। यह योजना विशेष पिछड़ी जनजातियों के उत्थान के लिए ही बनाई गई है। वर्ष 2023-24 में हुए सर्वे में सुभौतिन को एकांकी विधवा महिला परिवार के रूप में प्राथमिकता दी गई और उन्हें आवास योजना का लाभ देने के लिए चुना गया।
शासन की मदद से साकार हुआ सपना –
योजना के तहत सुभौतिन को आवास निर्माण के लिए 2 लाख रुपये और मनरेगा के अंतर्गत 95 दिनों की मजदूरी के लिए 23 हजार 85 रुपये स्वीकृत हुए। योजना की पहली किश्त सीधे उनके बैंक खाते में आई, जिससे मकान निर्माण का काम शुरू हो सका। सुभौतिन खुद मकान बनाने में सक्षम नहीं थीं, इस समस्या का समाधान भी प्रशासन ने किया। रूरल मेसन ट्रेनिंग के तहत एक मास्टर ट्रेनर की देखरेख में उनके आवास का निर्माण करवाया गया। निर्माण के अलग-अलग चरणों में उन्हें बाकी किश्तें भी मिलती गईं।
आज सुभौतिन अपने नाती के साथ पक्के मकान में खुशी-खुशी रह रही हैं। उनकी आंखों में खुशी के आंसू हैं और चेहरे पर एक सुकून की मुस्कान। वह कहती हैं, मेरे पास इतने पैसे कभी नहीं थे कि मैं पक्का मकान बना पाती, लेकिन सरकार की इस योजना ने मेरा सपना पूरा कर दिया। सुभौतिन की यह कहानी पीएम-जनमन योजना की सफलता और सरकार की अंतिम व्यक्ति तक पहुंचने की प्रतिबद्धता का एक जीवंत उदाहरण है।