नई दिल्ली: कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी के पति रॉबर्ट वाड्रा की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। एक तरफ ईडी सूत्रों का दावा है कि वाड्रा ने गलत तरीके से करीब 58 करोड़ रुपये कमाए हैं। वहीं दूसरी तरफ रॉबर्ट वाड्रा ने पूछताछ के दौरान तीन दिवंगत लोगों पर घोटाले का आरोप लगाया है।
बता दें कि प्रवर्तन निदेशालय (ED) की गुरुग्राम जमीन सौदे की जांच में रॉबर्ट वाड्रा से दो बार बयान लिए गए थे। पहला बयान 15 अप्रैल को और दूसरा 16 अप्रैल 2025 को लिया गया था।
वाड्रा ने तीन दिवंगत लोगों पर घोटाले का आरोप लगाया
सूत्रों के मुताबिक, पूछताछ के दौरान वाड्रा ने कई सवालों के सीधे जवाब देने से बचते हुए जिम्मेदारी तीन दिवंगत लोगों एच.एल. पाहवा, राजेश खुराना और महेश नागर पर डाल दी। उनका कहना था कि ये लोग उनकी ओर से काम करते थे। जब ईडी ने उनसे इस बात के सबूत मांगे, तो वे कोई दस्तावेज पेश नहीं कर पाए।
करीब 58 करोड़ रुपये गलत तरीके से कमाने का आरोप
ईडी सूत्रों का दावा है कि वाड्रा ने अपनी कंपनियों स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी प्रा. लि. और BBTPL के जरिए गलत तरीके से करीब 58 करोड़ रुपये कमाए। यह पैसा उन्होंने अपनी आलीशान जिंदगी और अपने या अपनी कंपनियों के नाम पर जमीन-जायदाद खरीदने में लगाया।
प्रवर्तन निदेशालय ने PMLA के तहत कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की
सूत्रों के मुताबिक, वाड्रा के खिलाफ दायर चार्जशीट में इन खुलासों का जिक्र हुआ है। मामला शिकोहपुर जमीन घोटाले से जुड़ा है। प्रवर्तन निदेशालय ने PMLA के तहत रॉबर्ट वाड्रा, सत्यानंद याजी, केवल सिंह विर्क और कई कंपनियों पर कार्रवाई करते हुए कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की है।
यह मामला हरियाणा के गुरुग्राम के शिकोहपुर गांव में जमीन की खरीद-बिक्री और लाइसेंस जारी करने में हुई गड़बड़ियों से जुड़ा है। 1 सितंबर 2018 को हरियाणा पुलिस ने गुरुग्राम के खेड़की दौला थाने में एफआईआर दर्ज की। इसमें रॉबर्ट वाड्रा, हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा, डीएलएफ कंपनी और ओंकारेश्वर प्रॉपर्टीज प्रा. लि. समेत अन्य पर धोखाधड़ी, साजिश और भ्रष्टाचार के आरोप लगे।
स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी प्रा. लि. (SLHPL) ने बहुत कम पूंजी होने के बावजूद 3.5 एकड़ जमीन सिर्फ ₹7.50 करोड़ में खरीदी, जबकि असली कीमत ₹15 करोड़ थी। सेल डीड में झूठा लिखा गया कि भुगतान चेक से हुआ, जो कभी कैश नहीं हुआ। करीब ₹45 लाख की स्टाम्प ड्यूटी बचाने के लिए गलत जानकारी दी गई। आरोप है कि यह जमीन रॉबर्ट वाड्रा के प्रभाव के बदले ओंकारेश्वर प्रॉपर्टीज को तत्कालीन CM से हाउसिंग लाइसेंस दिलाने के लिए दी गई। बाद में जमीन का कमर्शियल लाइसेंस लेकर, दबाव बनाकर और फाइल में हेरफेर कर जारी किया गया और इसे ₹58 करोड़ में DLF को बेच दिया गया।
लाइसेंस के लिए आवेदन में 3.53 एकड़ जमीन दिखाई
मिली जानकारी के मुताबिक, लाइसेंस के लिए आवेदन में 3.53 एकड़ जमीन दिखाई गई, जबकि कॉमर्शियल यूज के लिए केवल 1.35 एकड़ ही जमीन थी। सेक्टर रोड वाली जमीन भी शामिल कर नियमों को नजरअंदाज किया गया। वरिष्ठ अधिकारियों के दबाव में लाइसेंस प्रक्रिया को तेजी से पूरा किया गया। फाइल में तारीखें बदलने और नक्शे में फेरबदल के सबूत मिले।
ईडी के अनुसार रॉबर्ट वाड्रा को इस सौदे से ₹58 करोड़ की अवैध कमाई हुई। 5 करोड़ रुपए ब्लू ब्रीज ट्रेडिंग प्रा. लि. के जरिए और 53 करोड़ रुपए की कमाई स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी प्रा. लि. के जरिए हुई। यह पैसा प्रॉपर्टी खरीदने, निवेश करने और अपनी कंपनियों के कर्ज चुकाने में लगाया गया।
जब्त की गई संपत्तियां कौन सी हैं?
ईडी ने ₹38.69 करोड़ मूल्य की 43 अचल संपत्तियां अस्थायी रूप से जब्त की हैं, जिनमें बीकानेर, गुरुग्राम, मोहाली, अहमदाबाद, नोएडा और फरीदाबाद की जमीन, फ्लैट और वाणिज्यिक यूनिट्स शामिल हैं। ईडी ने PMLA की कई धाराओं के साथ आईपीसी की धारा 423 भी जोड़ी है। आरोप साबित होने पर 3 से 7 साल की सज़ा और अवैध संपत्ति जब्त की जा सकती है।
जानें घटनाक्रम
- 2006–2008: जमीन खरीद, लाइसेंस के लिए आवेदन, गलत जानकारी देकर फाइल पास कराना।
- 2008–2012: DLF से करोड़ों की पेमेंट, लाइसेंस जारी और नवीनीकरण, आखिर में जमीन ₹58 करोड़ में DLF को बेचना।
- 2013: ऑडिट में पूरी प्रक्रिया में गड़बड़ियों की पोल खुली।