भारत ने प्रदूषण नियंत्रण के नियमों में बड़ा बदलाव करते हुए सीधे BS4 से BS6 स्टेज पर छलांग लगाई थी। ये अपने-आप में तो एक बड़ा कदम था ही, लेकिन इसके साथ-साथ एक और अहम बदलाव फ्यूल (ईंधन) में हो रहा था – पेट्रोल में इथेनॉल मिलाया जाने लगा। आज की तारीख में भारत में मिलने वाले पेट्रोल में 20 प्रतिशत तक इथेनॉल मिलाया जा रहा है, और इसी को लेकर अब कई सवाल उठ रहे हैं।
तो सवाल ये है कि अगर आपके पास BS4 गाड़ी है तो आपको कौन-सा फ्यूल भरवाना चाहिए? अगर BS6 की पुरानी गाड़ी है, तब क्या करें? और अगर BS6 स्टेज 2 गाड़ी है, तो क्या E20 फ्यूल इस्तेमाल करना सही रहेगा? आइए, एक-एक कर के जानते हैं।
BS4 और BS6 में क्या फर्क है
BS4 और BS6 गाड़ियों के बीच सबसे बड़ा अंतर सिर्फ इथेनॉल मिक्सिंग का नहीं, बल्कि फ्यूल की क्वालिटी का है। BS6 गाड़ियां उस फ्यूल पर चलने के लिए डिजाइन की गई हैं जिसमें सल्फर की मात्रा कम होती है। इसका मकसद इंजन से निकलने वाले हानिकारक तत्वों को कम करना है।
उदाहरण के तौर पर, पेट्रोल गाड़ियों में नाइट्रोजन ऑक्साइड का उत्सर्जन BS4 में अधिकतम 80mg तक सीमित था, जबकि BS6 में इसे घटाकर 60mg कर दिया गया।
सरकार ने 1 अप्रैल 2020 से सभी नई बिकने वाली गाड़ियों (दो-पहिया और चार-पहिया) के लिए BS6 मानक अनिवार्य कर दिए। खास बात ये रही कि भारत ने BS5 स्टेज को अपनाया ही नहीं और पूरी तरह स्किप कर दिया, जिससे गाड़ियों के निर्माताओं के लिए ये ट्रांजिशन और भी चुनौतीपूर्ण हो गया।
BS4 बनाम BS6: कौन-सा ईंधन सही है
BS4 गाड़ियां कुछ हद तक इथेनॉल मिश्रित फ्यूल (E5 या E10) के लिए उपयुक्त हो सकती हैं, लेकिन ये गाड़ी के मॉडल और निर्माता पर निर्भर करता है। उस समय कोई ठोस मानक नहीं था, इसलिए यह हर गाड़ी के हिसाब से अलग हो सकता है।
दूसरी ओर, सिर्फ BS6 स्टेज 2 गाड़ियां ही E20 फ्यूल (यानि 20% इथेनॉल मिला पेट्रोल) पर आसानी से चल सकती हैं। BS4 और शुरुआती BS6 गाड़ियों में ये फ्यूल इस्तेमाल करने से नुकसान हो सकता है।
इथेनॉल के नुकसान: BS4 गाड़ियों के लिए खतरा
इथेनॉल की एक बड़ी समस्या है कि ये नमी को अपनी ओर खींचता है। पुराने मेटल फ्यूल टैंक इस वजह से जल्दी जंग पकड़ सकते हैं, जिससे फ्यूल सिस्टम खराब हो सकता है। खासकर BS4 गाड़ियों में जहां कार्ब्युरेटर होता है, अगर गाड़ी कई दिनों तक खड़ी रहे तो फ्यूल जमकर गाढ़ा और चिपचिपा हो सकता है, जो पूरे सिस्टम को बिगाड़ सकता है।
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इसके अलावा, BS4 गाड़ियां E20 फ्यूल पर लंबे समय तक चलें तो इंजन पर बुरा असर पड़ सकता है और माइलेज भी घट सकती है। क्योंकि इथेनॉल की एनर्जी डेंसिटी, यानी ताकत, पेट्रोल के मुकाबले कम होती है।
इसलिए BS4 और शुरुआती BS6 गाड़ियों के लिए नॉन-इथेनॉल हाई ऑक्टेन फ्यूल सबसे सुरक्षित विकल्प है। जैसे XP100 या HPCL का poWer100। ये थोड़ा महंगा जरूर होता है, लेकिन इंजन के लिए काफी सुरक्षित है।
क्या BS6 गाड़ियां E20 फ्यूल पर चल सकती हैं
इस सवाल का जवाब भी पूरी तरह सीधा नहीं है। शुरुआती BS6 गाड़ियां E20 फ्यूल पर पूरी तरह उपयुक्त नहीं हैं, और अगर निर्माता ने साफ-साफ E20 कम्पैटिबिलिटी नहीं दी है, तो लंबी अवधि में इंजन और फ्यूल लाइन को नुकसान हो सकता है।
हालांकि, BS6 स्टेज 2 गाड़ियां जरूर E20 फ्यूल पर चलने के लिए बनाई गई हैं। इन गाड़ियों में इंजन और सिस्टम को इस हिसाब से डिजाइन किया गया है। लेकिन यहां भी एक चेतावनी है – अगर गाड़ी कई दिनों तक खड़ी रहे तो नमी के कारण फ्यूल लाइन या इंजेक्टर में दिक्कत आ सकती है।
अब कंपनियां इस परेशानी को कम करने के लिए E20 में कुछ एडिटिव्स मिला रही हैं, जिससे नुकसान कम हो सके। हालांकि, सबसे आसान तरीका अब भी यही है कि अगर आपकी गाड़ी E20 के लिए बनी नहीं है, तो हाई ऑक्टेन पेट्रोल का इस्तेमाल करें, भले ही उसकी कीमत थोड़ी ज्यादा हो।