प्लास्टिक का नाम आते ही जो चारों तरफ नजर आती हैं वो हैं पॉलीथिन। किराने की दुकान से लेकर सब्जी वाले तक और खाना पैक करने से लेकर बाजार तक में पॉलीथिन का इस्तेमाल होता है। सड़कों पर नजर दौड़ाएंगे को कचरा क नाम पर आपको पॉलीथिन नजर आएंगी। पिछले कुछ सालों में पॉलीथिन का इस्तेमाल इतना ज्यादा बढ़ गया है कि अब ये सुविधा की बजाय जानलेवा साबित हो रही है। पॉलीथिन कैंसर से लेकर सांस की बीमारियों समेत कई गंभीर बीमारियों का बड़ा कारण बन रही हैं। जानते हैं पॉलीथिन से कौन सी बीमारियां होती हैं?
फोल्डेबल iPhone का इंतजार जल्द होगा खत्म! इस मॉडल का प्रोडक्शन हुआ शुरू
डॉ. जयंत ठ|कुरिया (निदेशक, इंटरनल मेडिसिन, यथार्थ सुपर स्पेशलिटी अस्पताल, फरीदाबाद) ने बताया कि पॉलीथिन में ऐसे रसायन होते हैं जो विषैले (toxic) होते हैं। जब हम उसमें खाना स्टोर करते हैं या गर्म चीजें उसमें डालते हैं, तो ये रसायन खाने में मिल सकते हैं। इससे गंभीर बीमारियां हो सकती हैं।
इलॉन मस्क के लिए आई एक और बुरी खबर, टेस्ला की बिक्री में दर्ज की गई भारी गिरावट
पॉलीथिन से कौन सी बीमारियां होती हैं?
कैंसर- पॉलीथिन में पाए जाने वाले कुछ रसायन कैंसर कारक हो सकते हैं। कई रिसर्च में ये सामने आ चुका है कि लंबे समय तक प्लास्टिक का इस्तेमाल करने से उसमें निकलने केमिकल्स के संपर्क में रहने से कैंसर का खतरा कई गुना बढ़ जाता है। इससे शरीर में कैंसर कोशिकाएं पैदा हो सकती हैं। खासतौर से ब्रेस्ट और प्रोस्टेट कैंसर का खतरा कई गुना बढ़ जाता है।
प्रजनन पर असर- आपको जानकर हैरानी होगी कि पॉलीथिन प्लास्टिक महिलाओं और पुरुषों दोनों की प्रजनन क्षमता को प्रभावित कर सकती है। रिसर्च की मानें तो प्लास्टिक को मुलायम बनाने वाले रसायन शुक्राणुओं की संख्या कम और क्वालिटी खराब कर सकते हैं।
विकास संबंधी समस्याएं- प्लास्टिक बच्चों से बिल्कुल दूर रखना चाहिए। इससे बच्चों में शारीरिक और मानसिक विकास में रुकावट आ सकती है। प्लास्टिक के डिब्बे और बोतलों में BPA एक एंडोक्राइन डिसरप्टर पाया जाता है जो शरीर के हार्मोन सिस्टम पर असर डालता है।
फेफड़ों पर असर- पॉलीथिन को जलाने से निकलने वाले धुएं से फेफड़ों में जलन हो सकती है, जिससे केमिकल न्यूमोनिया या अस्थमा जैसे रोग उत्पन्न हो सकते हैं।
पर्यावरण को भी पहुंचा रहा है नुकसान
- पॉलीथिन एक नॉन-बायोडिग्रेडेबल पदार्थ है, यानी यह मिट्टी में घुलता नहीं है और सालों तक वैसे ही पड़ा रहता है।
- नालियों को जाम करता है। जब पॉलीथिन कूड़े में फेंका जाता है और वह नालियों में चला जाता है, तो यह जलजमाव की समस्या उत्पन्न करता है। यह गंदा पानी बीमारियों का घर बन जाता है।
- मच्छरों का प्रजनन भी पॉलीथिन के कारण बढ़ रहा है। रुके हुए पानी में मलेरिया, डेंगू जैसे जलजनित रोगों के लिए मच्छरों पनपने लगते हैं।