आईएसबीएम विवि में खादी ग्रामोद्योग का राज्यस्तरीय कार्यक्रम का सफल आयोजन

छुरा। आईएसबीएम विश्वविद्यालय के तत्वाधान में खादी और ग्रामोद्योग आयोग के द्वारा राज्यस्तरीय ग्रामोद्योग विकास योजना के तहत टूलकिट, मशीनरी वितरण के कार्यक्रम का आयोजन हुआ। भारत में खादी आंदोलन के प्रतीक राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को स्मरण करते हुए कार्यक्रम को गति प्रदान किया गया।कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में महासमुन्द लोकसभा सांसद चुन्नीलाल साहू ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि, ग्रामीण अंचल में निवास करती नारी शक्ति के सशक्तिकरण के लिए खादी ग्रामोद्योग आयोग निरंतर प्रयास कर रहा है। हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी का विजन है कि गरीब कारीगरों, श्रमिकों और लघु उद्योगों में कार्यरत निम्न तबके के लोगों को आर्थिक स्थिति में सुधार कैसे हो? और उनके जीवन स्तर में सुधार के लिए निरंतर प्रयास कर रहे हैं। छुरा और गरियाबंद जिसे राज्य निर्माण से पहले ही विशेष जनजाति दर्जा प्राप्त है। जहां अति पिछड़ी जनजाति कमारों की बस्ती है। आज भी विकास और उनकी जीवन स्तर में सुधार नहीं हुआ है। यहां के जन जीवन और पानी के लिए हमने 150 किमी. यात्रा किया है। पहले जहां उत्तम खेती, मध्यम व्यापार और नीच नौकरी की कहावतें, आज उल्टे प्रासंगिक हो रहे हैं। खादी ग्रामोद्योग ग्रामीण अंचल में निवासित लोगों के जीवन का सबसे बड़ी चुनौती आर्थिक चुनौती के लिए स्व-रोजगारमुखी प्रयास कर रहा है। ग्रामोद्योग आयोग के द्वारा वर्तमान में जो स्थितियां बन रही है, निश्चय ही भारत एक बार फिर सोने की चिड़िया बनकर वैश्विक रूप में उभरेगा। साथ ही सांसद साहू ने आईएसबीएम विश्वविद्यालय के द्वारा संचालित विविध पाठ्यक्रमों की सराहना करते हुए कहा कि, आदिवासी क्षेत्र के युवाओं को आगे बढ़ाने में आईएसबीएम विश्वविद्यालय अग्रणी है। खादी ग्रामोद्योग आयोग के अध्यक्ष मनोज कुमार ने अपने संबोधन में कहा कि, आज की गरिमामय तिथि को 25 करोड़ की सबसिडी खादी ग्रामोद्योग से जुड़े उन स्व-रोजगार कर्ताओं के समर्पित है जो खादी ग्रामोद्योग के विभिन्न योजनाओं के लाभार्थी हैं। उन्होंने बताया कि खादी ग्रामोद्योग के विविध योजनाओं से जुड़कर वर्तमान में राज्य के अंतर्गत 50 हजार लोगों को स्वरोजगार प्राप्त हुआ है। वहीं वर्ष 2014 से अब तक यानी नौ वर्षों की अवधि में खादी का व्यापार 332 प्रतिशत तक बढ़ा है; इसके साथ ही वर्ष 2022-23 में Many का कारोबार 1 लाख 34 हजार करोड़ को पार कर गया है। ग्रामोद्योग में संचालित विभिन्न योजनाओं में ग्रामीण नारीशक्ति को स्वालंबन के लिए प्रेरित किया जा रहा है। जिससे निश्चय ही स्वदेशी क्रांति जो वर्तमान में हम और आप देख रहे हैं। वह वैश्विक रूप में भारत की पहचान बनेगा। पारंपरिक उद्योगों और कारीगरों को समूहों में संगठित करना है ताकि उन्हें प्रतिस्पर्धी बनाया जा सके और उनकी दीर्घकालिक स्थिरता, निरंतर रोजगार के लिए सहायता प्रदान की जा सके, ऐसे समूहों के उत्पादों की बिक्री में वृद्धि की जा सके, संबद्ध समूहों के पारंपरिक कारीगरों को कौशल से लैस किया जा सके। बेहतर कौशल, सामान्य सुविधाओं और कारीगरों के लिए बेहतर उपकरण और उपकरणों के लिए प्रावधान करने के लिए, हितधारकों की सक्रिय भागीदारी के साथ क्लस्टर शासन प्रणाली को मजबूत करने के लिए, और नवीन और पारंपरिक कौशल, बेहतर प्रौद्योगिकियों, उन्नत प्रक्रियाओं, बाजार की जानकारी और नए निर्माण के लिए सार्वजनिक-निजी भागीदारी के मॉडल, ताकि क्लस्टर आधारित पुनर्जीवित पारंपरिक उद्योगों के समान मॉडल को धीरे-धीरे दोहराया जा सके।आईएसबीएम विश्वविद्यालय कुलपति डॉ. आनंद महलवार नो कहा कि, एक मूर्त को हम साकार कर रहे हैं। मेक इन इंडिया में खादी ग्रामोद्योग के प्रयास से ग्रामीण अंचल के लोगों में स्वरोजगार एवं कौशल को उभारने कर प्रयास किया जा रहा है। कोरोना काल के बाद हमने सबसे बड़ी आवश्यकता जिस चीज की महसूस की वह, स्वालंबन की है। हमारे प्रधानमंत्री मोदी स्वरोजगार एवं मेक इन इंडिया के पक्षधर रहे हैं। हमारे विश्वविद्यालय के द्वारा युवा के कौशल को निखारने के प्रयास ने निरंतर प्रयास किये जा रहे है।कार्यक्रम के अगली कड़ी में मुख्यअतिथि सांसद चुन्नीलाल साहू और खादी ग्रामोद्योग आयोग अध्यक्ष मनोज कुमार के करकमलों से हितग्राहियों को इलेक्ट्रॉनिक पॉटर व्हील, ईमली प्रशोधन टूल किट प्रदान किया गया। इस कार्यक्रम में विवि कुलसचिव डॉ.बीपी भोल, जॉइंट रजिस्ट्रार डॉ. रानी झा, समस्त विभिन्न विभागाध्यक्ष सहित विवि के कर्मचारी एवं ग्रामीण जन उपस्थित रहे।

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मोती राम पटेल
प्रधान संपादक

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