रायपुर/मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने आज ध्रुव गोंड आदिवासी समाज के कार्यक्रम में शामिल हुए। उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि सरकार आदिवासियों के आर्थिक शैक्षणिक सांस्कृतिक विकास की समग्र सोच को लेकर कार्य कर रही है। आर्थिक विकास के लिए हमने जनजातीय क्षेत्रों में वनोपज संग्राहकों को राहत देने के लिए अनेक नीतियां अपनाई है। इन नीतियों का प्रभाव मुझे बस्तर के भेंट मुलाकात कार्यक्रम में नजर आया।
मुख्यमंत्री श्री बघेल ने आज आदिवासी समाज के कार्यक्रम में समाज के भवन में बोर खनन की घोषणा की। साथ ही किचन शेड के निर्माण तथा पुराने भवन के मरम्मत की घोषणा की और गर्मियों में किसी तरह पेयजल की दिक्कत ना हो, इसके लिए वाटर कूलर की घोषणा भी की। मुख्यमंत्री श्री बघेल ने कहा कि अभी हाल में मैंने भेंट-मुलाकात कार्यक्रम के दौरान बस्तर की 12 विधानसभाओं का भ्रमण किया और मुझे बहुत सुखद बदलाव बस्तर में महसूस हुआ। बस्तर विकास की राह पर तेजी से आगे बढ़ रहा है। भेंट मुलाकात कार्यक्रम के दौरान एक महुआ संग्राहक महिला ने बताया कि उनका महुआ इंग्लैंड जा रहा है। महिला ने यह जानने की इच्छा जताई कि इंग्लैंड वाले महुआ का क्या कर रहे हैं तो मैंने उन्हें कहा कि आपको भी इसे देखने इंग्लैंड भेजेंगे। इस तरह बड़ा बदलाव बस्तर में देखने को सामने आया है, बस्तर में शांति का वातावरण लौटा है। इससे बस्तर में पर्यटन गतिविधियां तेज हुई है। बस्तर में पर्यटन की सुंदर अधोसंरचना तैयार हो रही है। अपने बस्तर भ्रमण में मैंने कुछ रिसॉर्ट का लोकार्पण भी किया। इस तरह बदलते हुए बस्तर को देखना बहुत ही सुखद है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हमने आदिवासी समाज को हमेशा प्रतिनिधित्व दिया है। बस्तर और सरगुजा विकास प्राधिकरण के अभी तक अध्यक्ष मुख्यमंत्री होते थे लेकिन हमने बस्तर के और सरगुजा के विधायकों को इसके लिए मौके दिए हैं। मुख्यमंत्री ने बताया कि बस्तर के सांस्कृतिक विकास की दिशा में भी सरकार तेजी से काम कर रही है। बस्तर में हमने 1200 देवगुड़ियों का जीर्णाेद्धार किया। इसके साथ ही आदिवासी संस्कृति के केंद्र रहे घोटुल का भी जीर्णाेद्धार हमारी सरकार ने किया। बस्तर का जनमानस अपने देव गुड़ियों में बसता है, अपने लोकगीतों में बसता है, अपनी संस्कृति में बसता है। इस संस्कृति को सहेजने की दिशा में भी हमने बड़ा काम किया है, हमने आसना में एक संस्था बनाई है जिसका नाम है बादल अर्थात बस्तर आर्ट डांस एंड लिटरेचर। इसके माध्यम से हम बस्तर की संस्कृति को सहेजने की दिशा में काम कर रहे हैं। इस प्रकार सांस्कृतिक धरोहरों के संरक्षण के माध्यम से हम आदिवासी संस्कृति को सहेज सकते हैं। जनजातीय क्षेत्रों में स्वास्थ्य का ढांचा बेहतर हो। इसके लिए भी हमने कार्य किया है।
मुख्यमंत्री ने इस दौरान आदिवासियों के हित में सरकार के ऐसे नवाचार बताए, जिनसे जनजातीय क्षेत्रों में तेजी से प्रशासनिक दक्षता बढ़ी है। मुख्यमंत्री ने विशेष रूप से दो बातों का जिक्र करते हुए बताया कि किस तरह बस्तर बदल रहा है, मुख्यमंत्री ने कहा कि जनजाति क्षेत्रों में प्रशासनिक तंत्र को सबसे बड़ी दिक्कत भाषा को लेकर होती है। लोग अपनी समस्या रखते हैं लेकिन भाषा की दिक्कत की वजह से अधिकारी इसे समझ नहीं पाते और लोगों की समस्याएं हल करने में दिक्कत होती है। यह दिक्कत दूर हो सके इसके लिए हमने अधिकारियों की स्थानीय भाषा के समुचित प्रशिक्षण की व्यवस्था की है। आर्थिक रूप से लोगों को सुदृढ़ करने वनोपज संग्राहकों को उपज का उचित मूल्य दिलाया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि बस्तर तेजी से बदल रहा है। इस बात का पता इससे चलता है कि भेंट मुलाकात के कार्यक्रमों के दौरान मुझे स्वामी आत्मानंद स्कूलों की स्थापना को लेकर, बैंक की स्थापना को लेकर बड़ी संख्या में लोगों ने आग्रह किया। यह एक बदलते बस्तर का मजबूत परिचायक है। कृषि में हुए सुधारों का जबरदस्त असर बस्तर में दिखा है। बीजापुर जैसे छोटे से शहर में ट्रैक्टर के चार शोरूम खुल गए हैं। इससे पता चलता है कि किस तेजी से लोग कृषि में नए सुधारों को अपना रहे हैं।
कार्यक्रम में वन मंत्री श्री मोहम्मद अकबर ने भी आदिवासी समाज को संबोधित किया। वन मंत्री ने कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में जनजातियों के विकास की दिशा में लगातार काम कर रही है। आदिवासी संस्कृति को सहेजने की दिशा में काम कर रही है और आर्थिक विकास के लिए भी सतत रूप से काम कर रही है। इस दौरान समाज के पदाधिकारी श्री एमडी ठाकुर, श्री सीताराम ठाकुर, श्री राजेश ठाकुर आदि उपस्थित थे। इसके साथ जिला पंचायत अध्यक्ष श्रीमती शालिनी रिवेंद्र यादव, नगर पंचायत अध्यक्ष श्री भूपेंद्र कश्यप,जिला पंचायत उपाध्यक्ष श्री अशोक साहू सहित अन्य जनप्रतिनिधि भी उपस्थित थे।
ध्रुव गोंड आदिवासी समाज के सम्मेलन में शामिल हुए मुख्यमंत्री बघेल
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