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    Home»गरियाबंद»दर्रीपारा-कोसमी में 150 साल पुरानी परम्परा से ही मनाया गया देव दशहरा
    गरियाबंद

    दर्रीपारा-कोसमी में 150 साल पुरानी परम्परा से ही मनाया गया देव दशहरा

    Khabar bharat 36By Khabar bharat 36October 6, 2022No Comments2 Mins Read
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    दर्रीपारा।ग्राम दर्रीपारा -कोसमी में इस साल भी विजयादशमी को रावन दहन नहीं हुआ। 150 साल पुरानी परम्परा का निर्वहन करते हुए एकादशी को देव दशहरा का आयोजन किया गया।पुतले के रावन के बदले मिट्टी के बने रावन का दहन किया गया।इस अवसर पर पहले ग्राम कोसमी में ग्राम देवी देवताओं की पूजा अर्चना की गई जिसके बाद रावनभाटा में राम- रावन युद्ध हुआ और फिर विजय जुलूस भी निकाला गया।
    ज्ञात हो कि जिला मुख्यालय गरियाबंद से 25 किमी दूर ग्राम दर्रीपारा और कोसमी (द ) एक ऐसा गांव है।जहां पुतला का रावन दहन नही होता।बल्कि ग्रामीण आपस मे राम और रावन सेना में बंटकर राम-रावन आमने -सामने युद्ध का अभिनय करते हैं और फिर वर्षों से चली आ रही परंपरा के अनुरूप ही मूर्ति के बने रावन का दहन किया जाता है।यहां हर साल विजयादशमी के बदले एकादशी को ही देव दशहरा का आयोजन किया जाता है।ग्राम दर्रीपारा एवं कोसमी (द ) में इस साल भी वर्षों परंपरा का निर्वहन करते हुए एकादशी को देवदशहरा का आयोजन किया गया।सबसे पहले ग्राम दर्रीपारा के ग्रामीण देवी-देवताओं की सवारी,डांग डोली,माता की कुर्सी के साथ ग्राम कोसमी पहुंची,यहाँ देवालय में कोसमी के देवी देवताओं की सवारी,डांग डोली,माता की कुर्सी से मेल मिलाप करने के बाद पुजारी परिवार द्वारा दोनों गांव के देवी- देवताओं,डांग डोली,माता की कुर्सी की आरती और पूजा अर्चना की गई ।इसके बाद देर शाम दोनों गांव के ग्रामीण ग्राम कोसमी के रावनभाटा में एकजुट हुए।यहां राम,रावन, लक्षण,विभीषण,कुंभकर्ण,हुनमान ,वानर सेना सहित सौ से अधिक कलाकारों के साथ ही ग्रामीण भी राम और रावन की सेना में विभाजित हुए और फिर राम-रावन युद्ध की शुरूवात की गई।एक सेना ने भगवान श्रीराम का जयघोष किया,तो दूसरी ओर राजा रावन के गगनभेदी जयकारे लगाए गए।दो सेना के बीच तीन घंटे तक चले युद्ध के बाद भगवान श्री राम की सेना की जीत के साथ ही देव दशहरा मनाया गया।इस दौरान काफी देर आतिशबाजी की गई और गांव में विजय जुलूस भी निकाला गया।इस दौरान आसपास के ग्राम जोबा,केराबाहरा, भिरालाट, आमदी, जैतपुरी,अंदोरा, देवरीबाहरा,मोहलाई, खुटगांव,खुर्सीपार,सेम्हरढाप,उरतुली, बोईरगांव,आमागांव,खरता,रावनडिग्गी, सेमरा,चिपरी,पेंड्रा सहित अन्य गांव के ग्रामीण भी देव दशहरा देखने कोसमी पहुंचे थे।

    दशहरा
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