गरियाबंद : संदर्भित लेख है कि छत्तीसगढ़ में आदिवासी समाज 32% निवास करते है और 80% हिस्सा पांचवी अनुसूची के रूप में अधिसूचीत है। अधिसूचित क्षेत्र मे आदिवासियों की जनसंख्या 70% से 100% है उसी अनुपात में
आदिवासी समाज आर्थिक समाजिक शैक्षणिक एवं राजनैतिक रूप से पिछड़े है अगर जनसंख्या के अनुपात में आदिवासी की 32% आरक्षण नही दी जाति है तो आदिवासियों की हालत और बद से बदतर हो जाएगी। पांचवी अनुसूचित क्षेत्र में पेशा एक्ट ग्राम सभा का पूर्णतः पालन नहीं होने से आदिवासी समाज संविधानिक अधिकार से वंचित हो रहा है। आदिवासियों की रूढीजन्य परंपरा हमारी मूल संस्कृति खतरे में पड़ गए है।
संस्कृति बोली भाषा देव देवालय पर दूसरी संस्कृति का प्रभाव लगातार बढ़ रही है। जिसके चलते निवेदन है कि हमारी निम्न मांगो को संज्ञान में लेते हुए शीघ्र पालन कराने की कष्ट करें। (1) छत्तीसगढ़ में शीघ्र अध्यादेश बुलाकर जनसंख्या के अनुपात में दिए गए 32 प्रतिशत आरक्षण को यथावत रखा जाये।
(2) आदिवासियों की आराध्य एवं ग्राम देवी मां जतमई पांचवी अनुसूचित क्षेत्र में आते है. उसकी संचालन हेतु ग्राम सभा को पूर्ण अधिकार दिया जाए। (3) छत्तीसगढ़ में पांचवी अनुसूची का पूर्णता पालन कराई जाए एवं पेशा एक्ट में ग्राम सभा के फैसले को उल्लंघन नही किया जाय।