जंगलों पहाड़ों के बीच झोंपड़ी में रहती है 65 वर्षीय आदिवासी महिला, अपने बेटे बहु नातियों के साथ जंगली हाथी भालू के शिकार हो सकती है ये परिवार

जंगलों पहाड़ों के बीच झोंपड़ी में रहती है 65 वर्षीय आदिवासी महिला, अपने बेटे बहु नातियों के साथ जंगली हाथी भालू के शिकार हो सकती है ये परिवार

गरीबों तक नहीं पहुंच रहीं सरकार की योजनाएं, घने जंगल में ऐसे जिंदगी गुजारने काे मजबूर 

छुरा। जिला गरियाबंद के अन्तर्गत छुरा विकास खंड के ग्राम पंचायत अकलवारा के आश्रित ग्राम फिंगेश्वरी समीप टेंवरी मन्दिर के पास आदिवासी विधवा घुरवा बाई ध्रुव घने जंगल में एक झोपड़ी जर्जर घर में गरीबी और बेबसी का जीवन जीने को मजबूर हैै। जब बरसात होती है तो वह सोना तो दूर की बात पानी से बचने के लिए पूरा दिन और रात चारपाई को इधर-उधर करते ही निकाल देती है तथा अब उसे गर्मी के मौसम की भी चिंता सताने लगी है वह गर्मी, बरसात, सर्दी के मौसम में एक जर्जर झोंपड़ी जोकि हर तरफ से सड़ चुकी है, उसमें कैसे रहेगी।

जंगल के बीच झोंपड़ी में रहती 65 वर्षीय आदीवासी महिला, अपने बेटे बहु नातियों के साथ जंगली हाथी भालू के शिकार हो सकती है ये परिवार

घुरवा बाई ध्रुव ने बताया हमारे परिवार में बेटा, बहु और नाती नतरा के साथ रहती हूं। घर से बेघर होने के कारण आज वह दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर हूै। उसके पास अच्छे से घर थे लेकिन पति के स्वर्गवास होने बाद खुद बीमार पढ़े घर को बेचकर ईलाज कराएं अब उनके पास घर नहीं है तो अपने बेटे बहु नाती नतरा के साथ अपने पैतृक कृषि भुमि जो अकलवारा आश्रित ग्राम फिंगेश्वरी से दूर टेंवरी मन्दिर जंगल के नदी किनारे में स्थित है वहां झोंपड़ी बनाकर बसावट कर कृषि कार्य कर जीवन यापन करने में मजबुर हैं ।

इस जंगल में हाथियों का आने जाने का मार्ग है

टेंवारी मंदिर गरियाबंद जिले के छुरा विकास खंड और फिंगेश्वर विकासखंड के सीमा में स्थापित हैं इस मन्दिर के पास कोई बस्ती बसावट नहीं है मन्दिर जानें के लिए फिंगेश्वर से घुरषा टेंवारी मंदिर तक पक्की सड़क हैं आगे

पकडंडी मार्ग है जो सीधे नदी जाते हैं। हाथी इसी जंगल से होकर विचरण करते रहता है हाथियों के आगे कोई दिखा तो बच पाना संभव नहीं हैं उनकी मौत तय है घुरवा बाई के परिवार  साथ कब ऐसे अनहोनी हो जायेगी कुछ कहा नही जाता उनके परिवार में दो छोटे छोटे बच्चे हैं जो स्कुल खुलने के समय पढ़ाई करते बाकी समय जंगल में घर रहते हैं अपने दादी मम्मी पापा के साथ जिसमें से एक बच्चे हॉस्टल में रहते हैं दुसरे बच्चें साथ में ही रहते हैं जो जंगल से नदी पार करते हुए ग्राम फिंगेश्वरी प्राथमिक शाला में पढ़ने जाते हैं। वहीं बच्चें अपने दादी मम्मी पापा के साथ हालात से लड़ने में मजबुर हैं।

बरसात की बाढ़ से बहा गया रोटी, कपड़ा और मकान

बता दें कि एक वर्ष पहले घुरवा बाई के परिवार लगातार चार दिनों के तेज बारिश से नदी में बाढ़ आ जानें कारण परिवार की जान संकट में आ गए अपने जान को जोखिम में डालकर पूरे परिवार पेड़ में चढ़े रहे हैं। जिसमें इसके झोपड़ी के साथ राशन,बर्तन, कपड़ा अन्य नदी में बह गए। शासन प्रशासन इसकी सुचना मिलते ही इन परिवारो के सभी सदस्य की जान बचाने में सफलता हुई और गरियाबंद जिला कलेक्टर प्रभात मलिक ने कहा था कि अपने परिवार के साथ नदी किनारे बसावट ना करें गांव के बस्ती करीब में जाकर बसे तब से घुरवा बाई अपने परिवार सहित ग्राम फिंगेश्वरी के बस्ती करीब शासकीय जमीन पर झोपड़ी कुटिया बनाकर रह रहें थे जिसमें गांव के कुछ लोगो को पसंद नहीं आया जिसे कुछ महीनो बाद जगह खाली कराकर गांव से बहार कर दिया आखिरकार परिवार सहित पुनः मौत की जगह में आ बसे।

शासन की योजनाओं से वंचित

सरकार की किसी भी योजना का लाभ इस बुजुर्ग विधवा घुरवा बाई आदीवासी महिला को नहीं मिला है। सरकारें विज्ञापनों में जोरशोर से कई योजनाएं जनता को सपने की तरह दिखाती हैं लेकिन ऐसी किसी भी योजना का लाभ इस बुजुर्ग महिला को नहीं मिला है।

घुरवा बाई को मात्र राशन कार्ड (राशन सामग्री) और विधवा पैंशन मिलते है जो कि राशन लेने के लिए लंबे दुरी तय करना पढ़ता है और उन्हें अंत में राशन प्रदाय की जाती है पीड़ित कहती हैं सेल्समैन अपने गांव के सभी हितग्राही को राशन वितरण करेगें उसके बाद मिलेगा राशन, पीड़ित के पास ना तो रहने के लिए मकान, ना तो मनरेगा कार्य करने के लिए जॉब कार्ड, ना तो पीने के लिए शुद्ध पेय जल, ना तो उजाला में रहने के लिए रोशनी ऐसे कई योजनाएं जिसे मिलना कोसो दुर है। घुरवा बाई ने भावुक होकर बताया कि चुनावों के समय सभी को मेरा घर दिख जाता है और जीतने के बाद कोई भी आज तक उसकी सुध लेने नही पहुंचा है।


आजकल गरीब की कौन सुनता है : घुरवा बाई

घुरवा बाई का कहना है कि अमीरों को ही सरकार की योजनाओं का लाभ मिलता है और आजकल गरीब की कौन सुनता है।घुरवा बाई ने कहा कि सबको सरकार की तरफ से मुफ्त गैस का कनैक्शन मिला है लेकिन न तो मुझे आज तक कोई कनैक्शन मिला और न शौचालय योजना के तहत शौचालय बन पाया। यही नहीं, आज तक किसी भी आवास योजना में पंचायत द्वारा उसको मकान का अनुदान दिलवाने के लिए कोई कोशिश नहीं की गई।

क्या कहते हैं तहसीलदार

इस संबंध में सुश्री सतरुपा साहु तहसीलदार छुरा से बात की गई तो उन्होंने कहा कि मीडिया के माध्यम से मामले की जानकारी मिली है, जिसकी आधिकारिक जांच करवाई जाएगी औश्र प्रशाशन की तरफ से जो सहायता की जा सकेगी वह की जाएगी।

 

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