पुल बनाने खोदे गए गड्डे में पानी भरने से गांव का मुख्य मार्ग से टूटा संपर्क

hदर्रीपारा। मानसून की पहली बौछार ने जहां किसानों के चेहरों को खिला दिया तो गर्मी और उमस से बेचैन नागरिकों ने राहत महसूस किया, वहीं दूसरी और मानसून की पहली बौछार ने प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा विकास कार्यों को लेकर कितने गंभीर हैं उसकी कलाई खोलकर रख दी।यहां पर हम आपको बतादे की जिला मुख्यालय से 15 किलो मीटर दूर पर ही प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना अंतर्गत जोबा से दशपुर पल पुल बनाने का काम बरसात के ठीक पूर्व ही शुरू हुआ है और संबंधित ठेकेदार द्वारा हाल ही में जेसीबी के माध्यम से लंबी चौड़ी खुदाई इस बात को ध्यान में रखे बगर ही करवा दी की अगर बारिश हो गई तो गांव के लोगों का आना जाना कैसे होगा। ठेकेदार तो ठेकेदार जिनके कंधों पर उक्त निर्माण कार्य की निगरानी का दायित्व है ऐसे जिम्मेदार अधिकारी ने भी इस बात को गंभीरता से नहीं लिया। आज मानसून की पहली बौछार से पूल निर्माण को लेकर खोदे गए गढहो मैं लबालब पानी भर गया है और इस गांव का संपर्क मुख्य मार्ग से टूट गया हैं। मुख्य मार्ग से संपर्क टूट जाने से ग्रामीणों को आवाजाही में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।इस संबंध में जब हमने ग्रामीणों से बात किया तो उन्होंने बताया कि पिछले दो-तीन वर्षो से यह पुल टूटा हुआ था इस पुल निर्माण के लिए अनेकों चक्कर हम लोगों ने सरकारी दफ्तरों के लगाए हैं तब जाकर इस पुल को प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना अंतर्गत ऐसे समय में निमार्ण कार्य प्रारंभ किया है जब बारिश होने वाली हैं।ग्रामीणों का कहना है कि हम लोगों ने आवागमन सुलभ हो सके इसलिए पुल निर्माण को लेकर हमने अपनी चप्पल घसी थी हमे नहीं पता था कि प्रशासनिक लापरवाही का खामियाजा हम ग्रामीणों को भुगतना पड़ेगा। ग्रामीणों का कहना है कि गढ्ढे में पानी भर जाने से हम मुख्य मार्ग से दूर हो गए हैं।अगर इस बीच गांव में किसी की तबियत बिगड़ी तो ना गांव तक स्वास्थ्य सुविधा भी नहीं पहुंच पाएगा वही दूसरी तरफ किसान भी खेती के लिए खाद्य बीज के लिए भी गांव से बाहर निकल ही नहीं सकते हैं।जिसके चलते किसान अपनी खेती में भी पिछड़ जाएगा सो अलग उनकी खेती भी चपेट जाएगा।ग्रामीणों ने जिला प्रशासन से गुहार लगाया है कि हमें इस समस्या से निजाद दिलाने की दिशा में पहल करने की मांग किया है।बहरहाल प्रशासनिक अधिकारियों के लापरवाही का खामियाजा ग्रामीण भुगतने को मजबूर हैं।अब देखना यह है कि जिला प्रशासन इन ग्रामीणों की समस्याओं के प्रति कितना गंभीरता दिखता है।

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